नाथ सम्पदाय का डिजिटल इतिहास,
नाथ सम्प्रदाय के निर्माता आदिनाथ शिव नाथ योग ही नहीं, सम्पूर्ण योगदर्शन आदिनाथ महायोगेश्वर शक्तिमान पार्वतीवल्लभ भगवान शिव है। योगोपदेशमृत उनके सहज कृपा साम्राज्य की अक्षय श्रीनिधि है। यद्यपि योगीसम्प्रदाया विष्कृति ग्रन्थ में वर्णित नवनारायणों के रूप में नवनाथचरित्र, महार्णव तन्त्र, सुधाकरचन्द्रिका, नेपाल परम्परा, वर्णरलाकार आदि में नवनाथ के उल्लेख में उनके सम्बन्ध में विभिन्न संकल्पनायें मिलती हैं और किसी-किसी सूची में वर्णित नागनाथ के नाम को गोरक्षनाथ के नाम का पर्याय तक स्वीकार कर लिया गया है, तथापि यह निर्विवाद है कि आदिनाथ के रूप में शिव ही नाथ-सम्प्रदाय की परम्परा में महायोगज्ञान के आदि उपदेष्टा हैं। महायोगी गोरखनाथजी ने अपनी प्रसिद्ध रचना" गोरक्षपद्धति" में यह मत व्यक्त किया है कि योगशास्त्र आदिनाथ (शिव) के मुखकमल से निःसृत (वचनामृत) है। उनका कथन है कि योगशास्त्र का ही नित्यपाठ करना चाहिए, अन्य (दर्शन) शास्त्रों के विवेचन से क्या प्रयोजन है। यह योगशास्त्र आदिनाथ के मुखकमल से प्रकट है। आदिनाथ शिव ही नाथसम्प्रदाय के आदि प्रवर्तक हैं और उन्हीं के योग ज्ञानामृत का कल्पवृक्ष नाथयोग है।